ईदगाह
रमज़ान के पूरे तीस रोज के बाद ईद आई है । कतना मनोहर, कतना सुहावना ूभात है ।वृ पर कुछ अजीब ह"रयाली है , खेत म& कुछ अजीब रौनक है , आसमान पर कुछ अजीब लािलमा है । आज का सूय) दे खो, कतना *यारा, कतना शीतल है , मानो संसार को ईद क- बधाई दे रहा है । गांव म& कतनी हलचल है । ईदगाह जाने क- तैया"रयाँ हो रह1 ह2 । कसी के कुरते म& बटन नह1ं है , पड़ोस के घर से सुई-तागा लाने को दौड़ा जा रहा है । कसी के जूते कड़े हो गए ह2, उनम& तेल डालने के िलए तेली के घर भागा जाता
है ।ज:द1-ज:द1 बैल को सानी-पानी दे द& । ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी। तीन कोस का पैदल राःता, फर सैकड़ आदिमय से िमलना,भ&ट करना। दोपहर के पहले लौटना असंभव है । लड़के सबसे =यादा ूस>न ह2 । कसी ने एक रोज़ा रखा है , वह भी दोपहर तक, कसी ने वह भी नह1ं, लेकन ईदगाह जाने क- खुशी उनके हःसे क- चीज़ है । रोजे बड़े -बूढ़ के िलए हगे। इनके िलए तो ईद है ।रोज ईद का नाम रटते थे। आज वह आ गई। अब ज:द1 पड़1 है क लोग ईदगाह Bय नह1ं चलते। इ>ह& गृहःथी क- िचंताओं से Bया ूयोजन। सेवय ै के िलए दध ै ाँ खाएँग।े वह Bया ू और शBकर घर म& है या नह1ं, इनक- बला से, ये तो सेवय जान& क अEबाजान Bय बदहवास चौधर1 कायमअली के घर दौड़े जा रहे ह2 ! उ>ह& Bया खबर क चौधर1 आज आँख& बदल ल&, तो यह सार1 ईद मुहर) म हो जाए। उनक- अपनी जेब म& तो कुबेर का धन भरा हुआ है । बार-बार जेब से अपना ख़जाना िनकालकर िगनते ह2 और खुश होकर फर रख लेते ह2 । महमूद िगनता है , एक-दो, दस-बारह। उसके पास बारह पैसे ह2 । मोहिसन के पास एक, दो, तीन, आठ, नौ, पंिह पैसे ह2 । इ>ह1ं अनिगनती पैस म& अनिगनती चीज& लाएँग-े Jखलौने, िमठाइयाँ, Kबगुल, ग&द और जाने Bया-Bया! और सबसे एयादा ूस>न है हािमद। वह चार-पाँच साल का ग़र1ब-सूरत, दब ु ला-पतला लड़का, Jजसका बाप गत वष) है जे क- भ&ट हो गया और माँ न जाने Bय पीली होती-होती एक दन मर गई। कसी को पता न चला, Bया बीमार1 है । कहती भी तो कौन सुनने वाला था। दल पर जो बीतती थी, वह दल ह1 म& सहती और जब न सहा गया तो संसार से Kवदा हो गई। अब हािमद अपनी बूढ़1 दाद1 अमीना क- गोद म& सोता है और उतना ह1 ूस>न है । उसके अEबाजान Oपये कमाने गए ह2 । बहुत-सी थैिलयाँ लेकर आएँगे। अPमीजान अ:लाहिमयाँ के घर से उसके िलए बड़1 अQछR-अQछR चीज& लाने गई है , इसिलए हािमद ूस>न है । आशा तो बड़1 चीज है और फर बQच क- आशा! उनक- क:पना तो राई का पव)त बना लेती ह2 । हािमद के पाँव म& जूते नह1ं ह2 , िसर पर एक पुरानी-धुरानी टोपी, Jजसका गोटा काला पड़ गया है , फर भी वह ूस>न है । जब उसके अEबाजान थैिलयाँ और अPमीजान िनयामत& लेकर आएँगी तो वह दल के अरमान िनकाल लेगा। तब दे खग े ा महमूद, मोहिसन, नूरे और सPमी कहाँ से उतने पैसे िनकाल&ग।े अभािगनी अमीना अपनी कोठर1 म& बैठR रो रह1 है । आज ईद का दन और उसके घर म& दाना नह1ं। आज आKबद होता तो Bया इसी तरह ईद आती और चली जाती? इस अंधकार और िनराशा म& वह डू बी जा रह1 है । कसने बुलाया था इस िनगौड़1 ईद को? इस घर म& उसका काम नह1ं, लेकन हािमद! उसे कसी के मरने-जीने से Bया मतलब? उसके अंदर ूकाश है , बाहर आशा। KवपKS अपना सारा दलबल लेकर आए, हािमद क- आनंद-भर1 िचतवन उसका KवTवंस कर दे गी। हािमद भीतर जाकर दाद1 से कहता है -तुम डरना नह1ं अPमा, म2 सबसे पहले जाऊँगा। Kबलकुल न डरना।गांव से मेला चला। और बQच के साथ हािमद भी
जा रहा था। कभी सबके सब दौड़कर आगे िनकल जाते। फर कसी पेड़ के नीचे खड़े होकर साथ वाल का इं तजार करते। ये लोग Bय इतना धीरे चल रहे ह2 ?
हािमद के पैर म& तो जैसे पर लग गए ह2 । वह कभी थक सकता है ? शहर का दामन आ गया। सड़क के दोन ओर अमीर के बगीचे ह2 । पBक- चारद1वार1 बनी हुई है । पेड़ म& आम और लीिचयाँ लगी हुई ह2 । कभी-कभी कोई लड़का कंकड़ उठाकर आम पर िनशाना लगाता है । माली अंदर से गाली दे ता हुआ िनकलता है । लड़के वहाँ से एक फलाVग पर ह2 । खूब हँ स रहे ह2 । माली को कैसे उ:लू बनाया है ! अब बःती घनी होने लगी थी। ईदगाह जाने वाल क- टोिलयाँ नजर आने लगीं। एक से एक भड़क-ले वW पहने हुए, कोई इBके-ताँगे पर सवार, कोई मोटर पर, सभी इऽ म& बसे, सभी के दल म& उमंग। मामीण का वह छोटा-सा दल, अपनी Kवप>नता से बेखबर, संतोष और धैय) म& मगन चला जा रहा था। बQच के िलए नगर क- सभी चीज़& अनोखी थीं। Jजस चीज़ क- ओर ताकते, ताकते ह1 रह जाते। और पीछे से बार-बार हान) कआवाज होने पर भी न चेतते। हािमद तो मोटर के नीचे जाते-जाते बचा। सहसा ईदगाह नजर आया। ऊपर इमली के घने वृ क- छाया है । नीचे पBका फश) है , Jजस पर जाJजम Kबछा हुआ है और रोजेदार क- पंK[याँ एक के पीछे एक न जाने कहाँ तक चली गई ह2 , पBक- जगत के नीचे तक, जहाँ जाJजम भी नह1ं है । नए आने वाले आकर पीछे क- कतार म& खड़े हो जाते ह2 । आगे जगह नह1ं ह2 । यहाँ कोई धन और पद नह1ं दे खता। इःलाम क- िनगाह म& सब बराबर ह2 । इन मामीण ने भी वजू कया और Kपछली पंK[ म& खड़े हो गए। कतना सुंदर संचालन है , कतनी सुद ं र \यवःथा! लाख िसर एक साथ िसजदे म& झुक जाते ह2 , फर सब-के-सब एक साथ खड़े हो जाते ह2 । एक साथ झुकते ह2 और एक साथ घुटन के बल बैठ जाते ह2 । कई बार यह1 बया होती है , जैसे Kबजली क- लाख बKSयाँ एक साथ ूद1_ ह और एक साथ बुझ जाएँ और यह1 बम चलता रहे । कतना अपूव) `ँय था, Jजसकसामूहक बयाएँ, Kवःतार और अनंतता bदय को ौdा, गव) और आeमानंद से भर दे ती थीं। मान ॅातृeव का एक सूऽ इन समःत आeमाओं को एक लड़1 म& Kपरोए हुए ह2 । नमाज खeम हो गई है , लोग आपस म& गले िमल रहे ह2 । तब िमठाई और Jखलौने क- दक ु ान पर धावा होता है । मामीण का वह दल इस Kवषय म& बालक से कम उeसाह1 नह1ं है । यह दे खो, हं डोला है । एक पैसा दे कर जाओ। कभी आसमान पर जाते हुए मालूम हगे, कभी जमीन पर िगरते हुए। चखg है , लकड़1 के हाथी, घोड़े , ऊँट, छड़ से लटके हुए ह2 । एक पैसा दे कर बैठ जाओ और पQचीस चBकर का मजा लो। महमूद और मोहिसन, नूरे और सPमी इन घोड़ और ऊँट पर बैठते ह2 । हािमद दरू खड़ा है । तीन ह1 पैसे तो उसके पास ह2 । अपने कोष का एक ितहाई, जरा-सा चBकर खाने के िलए, वह नद1ं दे सकता। Jखलौन के बाद िमठाइयाँ आती ह2 । कसी ने रे वड़याँ ली ह2 , कसी ने गुलाब जामुन, कसी ने सोहन हलवा। मज़े से
खा रहे ह2 । हािमद Kबरादर1 से पृथक है । अभागे के पास तीन पैसे है । Bया नह1ं कुछ लेकर खाता? ललचाई आँख से सबक- और दे खता है ।िमठाइय के बाद कुछ दक ु ान& लोहे क- चीज़ क- ह2 , कुछ िगलट और कुछ नकली गहन क-। लड़क के िलए यहाँ कोई आकष)ण न था। वह सब आगे बढ़ जाते ह2 ।हािमद लोहे कदक ु ान पर Oक जाता है। कई िचमटे रखे हुए थे। उसे ख़याल आया, दाद1 के पास िचमटा नह1ं है । तवे से रोटयाँ उतारती ह2 , तो हाथ जल जाता है । अगर वह िचमटा ले जाकर दाद1 को दे दे , तो वह कतनी ूस>न हगी! फर उनक- उँ गिलयाँ कभी न जल&गी। घर म& एक काम क- चीज हो जाएगी। Jखलौने से Bया फ़ायदा। \यथ) म& पैसे ख़राब होते ह2 । उसने दक ु ानदार से पूछा, यह िचमटा कतने का है ?दक ु ानदार ने उसक- ओर दे खा और कोई आदमी साथ न दे खकर कहा, ‘यह तुPहारे काम का नह1ं है जी’‘Kबकाऊ है क नह1ं?’‘Kबकाऊ Bय नह1ं है ? और यहाँ Bय लाद लाए ह2 ?’‘तो बताते Bय नह1ं, कै पैसे का है ?’‘छः पैसे लग&गे?’हािमद का दल बैठ गया। ‘ठRक-ठRक बताओ।’‘ठRक-ठाक पाँच पैसे लग&ग,े लेना हो लो, नह1ं तो चलते बनो’हािमद ने कलेजा मजबूत करके कहा-तीन पैसे लोगे?यह कहता हुआ वह आगे बढ़ गया क दक ु ानदार क- घुड़कयाँ न सुन।े लेकन दक ु ानदार ने घुड़कयाँ नह1ं द1ं। बुलाकर िचमटा दे दया। हािमद ने उसे इस तरह कंधे पर रखा, मानो बंदक ू है और शान से अकड़ता हुआ संिगय के पास आया। jयारह बजे सारे गाँव म& हलचल मच गई। मेले वाले आ गए। मोहिसन क- छोट1 बहन ने दौड़कर िभँती उसके हाथ से छRन िलया और मारे खुशी के जो उछली, तो िमयाँ िभँती नीचे आ गए और सुरलोक िसधारे । इस पर भाई-बहन म& मार-पीट हुई। दोन खूब रोए। उनक- अPमां शोर सुनकर Kबगड़1 और दोन को ऊपर से दो-दो चांटे और लगाए। अब िमयाँ हािमद का हाल सुिनए। अमीना उसक- आवाज़ सुनते ह1 दौड़1 और उसे गोद म& उठाकर *यार करने लगी। सहजा उसके हाथ म& िचमटा दे खकर वह चkक-। ‘यह िचमटा कहाँ था?’‘म2ने मोल िलया है ।’‘कै पैसे म&?’‘तीन पैसे दए।’अमीना ने छाती पीट ली। यह कैसा बेसमझ लड़का है क दोपहर हुआ, कुछ खाया, न Kपया। लाया Bया, िचमटा। सारे मेले म& तुझे और कोई चीज़ न िमली जो यह लोहे का िचमटा उठा लाया?हािमद ने अपराधी-भाव से कहा-तुPहार1 ऊँगिलयाँ तवे से जल जाती थीं, इसिलए म2ने इसे िलया। बुढ़या का बोध तुरंत ःनेह म& बदल गया, और ःनेह भी वह नह1ं, जो ूग:भ होता है और अपनी सार1 कसक शEद म& Kबखेर दे ता है । यह मूक ःनेह था, खूब ठोस, रस और ःवाद से भरा हुआ। बQचे म& कतना eयाग, कतना सदभाव और कतना Kववेक है ! दस ू र को Jखलौना लेते और िमठाई खाते देखकर इसका मन कतना ललचाया होगा! इतना जEत इससे हुआ कैसे? वहाँ भी इसे अपनी बुढ़या दाद1 क- याद बनी रह1। अमीना का मन गदगद हो गया। और अब एक बड़1 Kविचऽ बात हुई। हािमद के इस िचमटे से भी Kविचऽ। बQचे हािमद ने बूढ़े हािमद का पाट) खेला था। बूढ़या अमीना बािलका अमीना बन गl। वह रोने लगी। दामन फैलाकर हािमद को दआ ु एँ दे ती जाती थी और आँसू क- बड़1-बड़1 बूँद& िगराती जाती थी। हािमद इसका रहःय Bया समझता।