Phool Singh Bauddh
[email protected] कोई चीखकर चला गया,
कोई चील्लाकर चला गया,
तो कोई स्कूलमे सबक सीखकर चला गया |
अरे " रामजी का बेटा "...स्कूल के बाहर रहा और
पूरे भारत की तकदीर लीखकर चला गया,
तेरे ललए तो ऐ दललत दयावान भीम था। गगरता तुझे उठाया वो इंसान भीम था।
स्वालभमान तेरा जगाया वो ईमान भीम था। कीचड़ मे गल ु खखलाया वो महान भीम था।
मनु स्मतृ त को जलाया वो शमशान भीम था। तेरे दख ु ो के कारण परे शान भीम था।
अपनी खुशी सुख चैन से अनजान भीम था।
अगिकार सब ददलाया ऐसी शान भीम था। ज्ञान और ववज्ञान का िनवान भीम था। भारत का तख्ता पलटा वो ववज्ञान भीम था। भारत संवविान बनाया वो ववद्वान भीम था। जजस क्षेत्र भी दे ख तेरी पहचान भीम था। तू माने या ना माने तेरा भगवान भीम था। तेरा भगवान भीम था। तेरा भगवान भीम था। बस भूल ना जाना कभी अहसान भीम का।
आंबेडकरवादी हैं हम समाज को जगाते रहें गे. ये जजन्दगी का मंत्र है लसखाते रहें गे. अज्ञान के अंिेरों में ललपटी हुई हमारी समाज हम ज्ञान के सरू ज को जगमगाते रहें गे. अंकुर नई उम्मीद के हमने उगाये हैं.
आँखों में उनके सपनो को सजाते रहें गे. आंबेडकरवादी हैं हम समाज को जगाते रहें गे... जब स्वाथथ, अत्याचार और अन्याय पला था तब बन चन ु ौती योद्िा भीम जी ही लड़ा था. जब समाज ने अलशक्षा की जंग लड़ी थी. ज्योततबा साववत्रीमाता ने लशक्षा की नींव रखी थी... हम ही नई पीढी के नव तनमाथण की सब ु ह सोये हुए सपनों को हम जगा के रहें गे
आंबेडकरवादी हैं हम समाज को जगाते रहें गे हमने ककया इततहास गौरव को आगे बढाने का लसल-लसला अब वतथमान को उस ऊंचाईयों पर लाके रहें गे. बुझने न दें गे ज्ञान का अववराम यह ददपक हम आँगियों के गवथ को दहला के रहें गे.
आंबेडकरवादी हैं हम समाज को जगाते रहें गे. *+"जय भीम जय "बहुजन समाज"+*
" मेरा कत्ल कर दो कोई लशकवा ना होगा, मज ु े िोखा दे दो
कोई बदला न होगा, पर अगर जो आँख उठी मेरे BABA Sahab पे, तो किर तलवार उठे गी और किर कोई समझौता न होगा...!!..
यदद संसार में भीम न होता, मुझमे किर स्वालभमान न होता ! सब इंसान हैं एक समान,
इसका किर मुझे ज्ञान न होता !! दे श में जो भीम संघर्थ न होता,
कौम का किर पहचान न होता !!! सिलता तो है दरू की कौड़ी,
मुझे तो अपना भी संज्ञान न होता !!!! वो इंसान जो बड़ा महान था,
उसके बबन समता वविमान न होता !!!!! कोलशश करना तुम उसे अपनाने की,
बबना भीम तुम्हारा सम्मान न होता !!!!!! बबखर जाती कौम मोती के जैसे,
भीम-रूपी जो ये वरदान न होता !!!!!!! यदद संसार में भीम न होता,
चल रे साथी चल बराबर, चल रे साथी चल । लमल जाएगी अपनी मजन्जल, आज नहीं तो कल ।। ये मनुवादी, मूलतनवालसयो से कब तक करे गे छल । हम भी ददखला दे गे, जय भीम वालो का बल । बोलो जय भीम ।।
मछ ु ो को थोडा राउण्ड घुमाके..
समता समानता की जोतत जलाके.. बहुजन यव ु ाओ को साथ लमलाके.... बद् ू िामय भारत का करने तनमाथण.. ओल ि िम्मा फ्रेंड्स... जयभीम....
वव डोन्ट लमस गिस चांस.. जयभीम... जयभीम..जयभीम..जयभीम..जयभीम...जयभीम..जयभीम.... जय भीम राव जय भीम राव जय भीम राव! जय बोलो भीम राव की जय । जय जय लभमराया मैने तुझे पाया । हो गई सारी गचंता बेडा पार!
सपने लेकर आया जीवन मेँ सबके छाया । लाई तुने जीवन मेँ सबके बहार भीम राव जी । सपने जो लेते थे खुलशयोँ के दललतों मे ।। कर ददया वो क्या जाद ू तुने ।
दललतो के जीवन मेँ तुने भर दी जान भीमराव जी! पढने को ललखने को तम ु ने लसखाया दललतो को । ज्ञान ददया समता का तूने इस दतु नया को ।
दतु नया मेँ दललतो की बड़ी शान भीम राव जी । छूते थे ना कोई दललतो को रास्ते मेँ ॥ लेते थे काम सभी गरीबो से सस्ते मेँ!
अगिकार करने की शजक्त की प्रदान भीम राव जी!
शान पर मरनेवालों की शान नही जाती | वतनपर जान दो कभी जान नही जाती | तमन्ना सरिरोशी कक हो कभी आन नही जाती |
गवथ से जयभीम कहो पहचान नही जाती |
!
जय भीम नमो बुद्िाय
जाग उठोँ ऐ सागथयोँ अब माहौल बनाना है ।
और बाबा के ललखे संवविान को लमलकर आज बचाना है ॥ संवविान की एक एक कलम में बराबरी का हक ददया। पर मांगना नही है अब हमेँ तछनकर ददखाना है ॥ अरे भूल गये हो उन ददनोँ को ककतना हमेँ सताया है । आओ लमलकर आज हमेँ उस दश्ु मन को लमटाना है ॥
संवविान की हर कलम ने दश्ु मन का रास्ता रोका है ।
अरे करता है कोई मनमानी तो इसी कलम ने टोँका है ॥ अगर बदलोगे एक भी कलम तो दे श को आगे िोखा है । संभल जाओ ऐ नादानोँ अभी तम् ु हे ये मौका है ॥ अरे ऐहसान मानो भीम के वरना दे श कभी का लूट जाता।
अगर ना होता संवविान हमारा तो भारत कभी का लूंट जाता॥ जय भीम जय भारत
जय भीम हमारी आन है
जय भीम हमारी शान है |
और जय भीम से ककनारा करने वालों, जजंदगी तुम्हारी कूड़ादान है || जय भीम से ही ददन और रात वरना हमारी क्या औकात और जय भीम को िोखा दे ने वालों ऐसी पड़ेगी लात भयानक होगा तम् ु हारा घात तो जोर से बोलो जय भीम बोलो ताकत से बोलो जय भीम बोलो
तू था पशु उस भीम ने इंसान बना ददया!
दे कर िम्म की दीक्षा तुझे दयावान बना ददया!
लशक्षा के खोलकर द्वार तुझे ववद्वान बना ददया! तू था दररद्र उस भीम ने महान बना ददया ! तेरी सुरक्षा के ललए सजन्विान बना ददया !
तेरे स्वालभमान का हर सामान बना ददया ! किर तुमने उस युग पुरुर् का अहसान भुला ददया!! जय भीम - नमो बुद्िाय!! िम्म प्रभात लमत्रों !!
वपपल के नीचे बैठे तो कोई "बुद्ि "नही हो सकता, ददन -दललतोंको वपलाये पाणी तो कोई "जोतीबा" नही हो सकता ,
अरे गाव-गल्ली मे मारे झाडू तो कोई "गाडगेबाबा "नही हो सकता ,
और ब्यारीस्टर कक पदवी करके आये हासील, तो दब ु ारा इस
दतु नया मे नया "बाबासाहे ब आंबेडकर "पैदा नही हो सकता........
नजरों ने नज़ारा दे खा
ऐसा नज़ारा नही दे खा
आसमान में जब भी दे खा
मेरे भीम जैसा लसतारा नही दे खा
लाख मुसीबत संकट सहकर तुमने हमें बचाया l
शान-सम्मान से जीना मरना तुमने हमें लसखाया l उपहार तुम्हारा याद रहे गा भारत का संवविान l
हे भारत के महामानव तझ ु े कोदट-कोदट प्रणाम l गुलामी और गरीबी की हमें पड़ी थी जंजीरे l
कलम चलाकर बाबा तुमने बदल दी तकदीरें l छः ववद्वानों में था आपका सबसे ऊपर नाम l हे भारत के महामानव तझ ु े कोदट-कोदट प्रणाम l ववश्व रत्न महासागर थे, तुम्हे ककसी ने नहीं जाना l केवल दललत मसीहा तुमको कुछ एक ने माना l कोई न आकर करे गा आपके जैसा काम l हे भारत के महामानव तझ ु े कोदट-कोदट प्रणाम l तेरे दीप से बाबा साहब हम लाखों दीप जलाएंगे l रहे अिरू े सपने तेरे, हम साकार बनाएंगे l उपहार तम् ु हारा याद रहे गा भारत का संवविान l हे भारत के महामानव तझ ु े कोदट-कोदट प्रणाम
घेर लेगी जब मुझे चारो तरि से गोलीया, छोडकर चल दे गग जब मुझे दोस्तो की टोलीया, बाबा भीमजी उस वक्त लभ मै आपके ही गीत गाऊंगा, "जय लभम" कहकर ही जजंदा राहा और "जय लभम" कहकर ही मर जाऊंगा.
लाख मुसीबत संकट सहकर तुमने हमें बचाया l
शान-सम्मान से जीना मरना तम ु ने हमें लसखाया l उपहार तुम्हारा याद रहे गा भारत का संवविान l
हे भारत के महामानव तुझे कोदट-कोदट प्रणाम l गुलामी और गरीबी की हमें पड़ी थी जंजीरे l
कलम चलाकर बाबा तुमने बदल दी तकदीरें l
छः ववद्वानों में था आपका सबसे ऊपर नाम l हे भारत के महामानव तुझे कोदट-कोदट प्रणाम l ववश्व रत्न महासागर थे, तुम्हे ककसी ने नहीं जाना l
केवल दललत मसीहा तुमको कुछ एक ने माना l कोई न आकर करे गा आपके जैसा काम l
हे भारत के महामानव तुझे कोदट-कोदट प्रणाम l
तेरे दीप से बाबा साहब हम लाखों दीप जलाएंगे l रहे अिूरे सपने तेरे, हम साकार बनाएंगे l
हे भारत के महामानव तुझे कोदट-कोदट प्रणाम l
आँगियों में भी जले वो उजाला हो जाये
तुम बना दो हमें ऐसा, कक जुगनू से लसतारा हो जाये हर पल दो लशक्षा का नरू हम सबको हमारे भीम
हो जाये इतने संगदठत कक ददखे कोई प्यासा अलशक्षक्षत कमजोर हमको तो हम उनकी कर सके सेवा ऐसा दररया का ककनारा हो जाये गूंगों को जुबान और बहरों को कान कस्तूरबा को पतत दान गाँिी को प्राण दान
बहुजन को सम्मान मदहलाओं को अगिकार सामान भारत को संवविान सारे ववश्व को बौद्ि िम्म का ज्ञान ऐसे थे मेरे बाबा भीम महान "नमन करो उस महा मानव को " पढ़े ललखे ओ अरे , दललतों ! तम् ु हे भीम ने तारा हैं !! नमन करो उस महामानब को , बही एक सहारा हैं !
माना कक तुम लशक्षक्षत बनकर, उच्च पदों पर बैठे हो ! सुख के सारे सामान जुटाकर, सोिासेट पर लेते हो !!
पर ककसके दम पर ये सब तुमने पाया, तुमने कभी बबचारा हैं ! नमन करो उस महामानव को ....................!
! तुम जातत तछपाकर रहते हो, अपने जन से कटते हो!
और सबरनो के आगे झुकते, अपनी नाक रगड़ते हो !! छी: छी: छी: गिक्कार तुम्हे , ये सारा दोर् तुम्हारा हैं नमन करो उस महामानव को .......................!
ओ नामक हरामो !ओ बेशमो !कुछ तो अरे , तम ु शमथ करो ! जजस थाली में खाया तुमने , उसमे तो न छे ड़ करो !!
क्यों बनते उनके वपछलग्गू, जजनने तुमने दत्ु कारा हैं ! नमन करो उस महामानव को .......................!
तलवे चाटो या करो खश ु मद , ये मंूूबड़ी तम् ु हे गगरांयेंगे ! कठपत ु ली अपनी तम् ु हे बनाकर , नाना नाच नचाएंगे ! तुम क्या जानो उनने तुमको , उल्टा जूता मारा हैं!
नमन करो उस महामानव को .......................! वणथबादी हैं अजगर भारी , तो जाततबाद को बबर्िर जानो! बबर्मत्ता का जहर उगलते, उनको अपना कभी न मानों !! डसते हैं बे चुपके-चुपके, जजसका नहीं कोई चारा हैं ! नमन करो उस महामानव को .......................!
पत्थर कक पज ू ा करने बोलों को, संजय से कोई प्यार नहीं ! आऒ लमत्रों ! छोड़ों उनको, भीम बबना उद्िार नहीं हैं !! लशक्षक्षत बने तो बनो संगदठत , सघर्थ हमारा नारा हैं ! नमन करो उस महामानव को .......................! दगाबाजी तम ु करते रहते , और पीठ बार करते हो !
अरे दोगलों ! शेर बनते अपने गली में , कुत्तों जैसे भौं-भौं करते!! हो दहम्मत तो सामने आओ 'संजय ' ने ललकारा हैं! नमन करो उस महामानव को .......................!
डूबती नाव शोवर्त-पीड़ड़तों की, तुमने आकर तार दी l
िन्य यह भारत की िरती, जजस पर तम ु ने जन्म ललया l गरीब-मजदरू -नारी का मन, भीतर से रोता था l
अपमान, जुल्म, दःु ख, छुआछूत, नहीं अब सहा जाता था l तुझ पर भी बीता होगा, और आप का मन भी रोया था l
तभी पूना-पैक्ट शोवर्त-पीड़ड़तों के ललए भारत में हुआ था l हे भारत के महामानव और तनिथन के भगवान l िन्य तुम्हारा आना, तुझे कोदट-कोदट प्रणाम l शोवर्त-पीड़ड़त सो रहे थे, तुमने इन्हे जगाया l सददयों से छीना हक़, तुमने इन्हे ददलाया l
जुल्म की चक्की में पीसने से बाबा तुमने हमें बचाया l पढ़ना-ललखना इकठ्ठे होकर, करना संघर्थ लसखाया l हे भारत के महामानव तुझे कोदट-कोदट प्रणाम तुम ही हमारे जीवन-दाता दज ू ा कोई न भगवान l गरीब, मजदरू , नारी का, आप ने बढ़ाया मान l
जागों उठो सब सोने वालों, नारा एक लगाया l तेरे डर से खत्म हुआ, गरीबों का अपमान l
हे भारत के महामानव तझ ु े कोदट-कोदट प्रणाम जय भीम जय भारत
मैं भारत की अबला नारी, युगों-युगों से हारी l
कोई न सुनता था मेरी पीड़ा, रौंद दे ते थे जानकार कीड़ा l जन्म मेरे पर रोते थे सब, चैन मनों का खोते थे सब l
दव्ु यवहार सब सहती थी मैं, किर भी कुछ न कहती थी मैं l पतत जान परमेश्वर दज ू ा, ददन-रात करती थी पूजा l
माँ ममता बबन चैन न पाया, मानवता की गोद खखलाया l किर भी िूटे थे मेरे भाग, बात-बात पर लमले तलाक l पढ़ने का नहीं था अगिकार, आगे बढ़ना था दश्ु वार l
घूघ ँ ट, पदाथ था मेरा गहना, अंदर चार ददवारी के रहना l हाथ-पांव में थी जंजीरे , ऐसी िूटी थी तकदीरें l
पर तूने ऐसे पलटी काया, ललखा संवविान कानून बनाया l हमें बराबरी का हक़ ददलाया, हर नारी का मान बढ़ाया l
हमने पढ़ना और पढ़ाना सीखा, दे श को आगे बढ़ाना सीखा l अब दे श-ववदे श में पढ़ती हूँ मैं, सरे आम वकालत करती हूँ मैं l अब अपनी आवाज उठा सकती हूँ, नारी को हक़ ददल सकती हूँ l हे नारी के मुजक्तदाता, क्या-क्या ललखू तुम्हारी गाथा l जीववत है जब तक नारी, रहे गी तेरी सदा आभारी l
िन्य-िन्य बाबा साहब भीमराव, तेरे जग से खेल न्यारे है l िन्य-िन्य वपता रामजी, िन्य-िन्य भीम जननी तू l
युगपुरुर् तुम आये जग में , िन्य-िन्य तेरे कमों को l
डूबती नाव शोवर्त-पीड़ड़तों की, तुमने आकर तार दी l
िन्य यह भारत की िरती, जजस पर तुमने जन्म ललया l गरीब-मजदरू -नारी का मन, भीतर से रोता था l
अपमान, जल् ु म, दःु ख, छुआछूत, नहीं अब सहा जाता था l
तुझ पर भी बीता होगा, और आप का मन भी रोया था l
तभी पूना-पैक्ट शोवर्त-पीड़ड़तों के ललए भारत में हुआ था l हे भारत के महामानव और तनिथन के भगवान l िन्य तुम्हारा आना, तुझे कोदट-कोदट प्रणाम l
शोवर्त-पीड़ड़त सो रहे थे, तम ु ने इन्हे जगाया l सददयों से छीना हक़, तुमने इन्हे ददलाया l
जुल्म की चक्की में पीसने से बाबा तुमने हमें बचाया l पढ़ना-ललखना इकठ्ठे होकर, करना संघर्थ लसखाया l हे भारत के महामानव तुझे कोदट-कोदट प्रणाम
तम ु ही हमारे जीवन-दाता दज ू ा कोई न भगवान l गरीब, मजदरू , नारी का, आप ने बढ़ाया मान l
जागों उठो सब सोने वालों, नारा एक लगाया l
तेरे डर से खत्म हुआ, गरीबों का अपमान l हे भारत के महामानव तझ ु े कोदट-कोदट प्रणाम जय भीम जय भारत
मैं भारत की अबला नारी, युगों-युगों से हारी l
कोई न सन ु ता था मेरी पीड़ा, रौंद दे ते थे जानकार कीड़ा l जन्म मेरे पर रोते थे सब, चैन मनों का खोते थे सब l
दव्ु यवहार सब सहती थी मैं, किर भी कुछ न कहती थी मैं l पतत जान परमेश्वर दज ू ा, ददन-रात करती थी पज ू ा l
माँ ममता बबन चैन न पाया, मानवता की गोद खखलाया l किर भी िूटे थे मेरे भाग, बात-बात पर लमले तलाक l पढ़ने का नहीं था अगिकार, आगे बढ़ना था दश्ु वार l
घूँघट, पदाथ था मेरा गहना, अंदर चार ददवारी के रहना l हाथ-पांव में थी जंजीरे , ऐसी िूटी थी तकदीरें l
पर तूने ऐसे पलटी काया, ललखा संवविान कानून बनाया l हमें बराबरी का हक़ ददलाया, हर नारी का मान बढ़ाया l
हमने पढ़ना और पढ़ाना सीखा, दे श को आगे बढ़ाना सीखा l अब दे श-ववदे श में पढ़ती हूँ मैं, सरे आम वकालत करती हूँ मैं l अब अपनी आवाज उठा सकती हूँ, नारी को हक़ ददल सकती हूँ l हे नारी के मुजक्तदाता, क्या-क्या ललखू तुम्हारी गाथा l जीववत है जब तक नारी, रहे गी तेरी सदा आभारी l
िन्य-िन्य बाबा साहब भीमराव, तेरे जग से खेल न्यारे है l िन्य-िन्य वपता रामजी, िन्य-िन्य भीम जननी तू l
यग ु परु ु र् तम ु आये जग में , िन्य-िन्य तेरे कमों को l
सींचा तूने चमन को बहा पसीना खून तनकला तेरी कलम से भारत का कानून लाये दहन्द ू कोड बबल ए बन तूफ़ान ददला गये इस दे श में नारी को सम्मान |
.
पैदा ना होता वो मसीहा तो खुलशयों का लसललसला नहीं होता बे रं ग रहती ये ज़मी और आसमान का रं ग नीला नहीं होता भारत तो कब का कंगाल हो जाता यारो अगर भीम राव आंबेडकर जैसे हीरा लमला नहीं होता ..
Desh Ke Liye Jinhoneney, Vilaas Ko Thukraaya Tha Girey Huon Ko Jinhone, Swabimaan Sikhaaya Tha Jisney Hum Sabko Toofaano Se, Takranaa Sikhaaya Tha Desh Ka Tha Anmol Wo Deepak, Jo Baba Saheb”Kehlayaa Tha Aaj Uski Baato Ko Hum Dil Se Apnayengey Sab Miljulkar Ambedkar Jayanti Manayngey.
!! Happy Babasaheb Ambedkar Jayanti !!
Nazaro me Nazara dekha aisa nazara nahi dekha aasman me jab bhi dekha mere bhim jaisa sitara nahi dekha. Jai Bhim!
सुबह उगने वाला सूरज शाम को वो भी ढलता है ,
भारत में भीम जी का कानून चौबीसों घंटे चलता है ,
अपना हक़ लेने महाड़ पहं चे बाबासाहाब आंबेडकर , उनको अरे स्ट करने पहुंचा वहाँ पुललस कलमश्नर, भीम जी बोले पहले ये बता मेरा कसूर क्या है भला,
कलमश्नर बोला बाबा पानी आपको छूना नहीं था,
भीम जी बोले मेरे कुत्ते ने भी पानी है चखा, क्या तू उसको अरे स्ट करता क्या पता?,
कलमश्नर बोला बाबा आप यहाँ हो ज्ञान के ववद्वान ्,
पर कानन ू यहाँ मनु का, और मैं उसका हूँ गल ु ाम, बाबा बोले एक ददन मैं मनु का कानून
बदलँ ग ू ा,
सारे इंसानों को आज़ाद कर दँ ग ू ा, ललख कर भारत का संवविान,
ललख ददया आज़ादी का इततहास, आज़ादी का शहं शाह वह लभमाई का पुत्र था, डॉ.भीमराव रामजी आंबेडकर ...
मनु को अगर भीम ने मारा नहीं होता
तो इस दतु नया में वो ककसी से भी हारा नहीं होता और अगर भीमराज का क्ांतत का नारा नहीं होता तो इस सारे जहाँ में कोई हमारा नहीं होता
न तीर से डरती हूँ न अस्त्र से डरती हूँ न जहरीले मनुवादी न अजगर से डरती हूँ दश्ु मन के साथ हरदम लड़ना सीखा है मैंने भीमराव की बेटी हूँ न खंजर से डरती हूँ सबसे न्यारी क्जन्तकारी, तनभथय नारी हूँ
भीम की बेटी मै तो सौ दश्ु मन को भरी हूँ
आप सभी को हाददथ क शुभकामनाओं के साथ-
बौद्ि- युग आने वाला है .
बहुजन बदलो अपनी सोच, भीम युग आने वाला है , छोड़ो मनुवाद का ख्याल, बौद्ि- युग आने वाला है | सददयों मूक रहा जो प्राणी उसका
दे श
महान
था |
प्राणी की रक्षा करने वाला अद्भुत अशोक महान था |
डा. अम्बेडकर ने िम्म ददलाया जो जाने वाला था, पढ़कर िम्म- भीम का
आज
कुछ
होने वाला है ||
बौद्ि- यग ु आने वाला है ………
िमथ - संस्कृतत स्तूपों
का
सड़कों पर
की रक्षा करने
तनमाथण
पेड़ों
कराया था |
की छाया में
ताल-सरोवरों को खुदवाया था |
ववश्व- गुरु नालंदा- भूलम जजसका वैभव एक तनराला था,
चलकर आज़ तथागत भलू म उसका दशथन लमलने वाला है || बौद्ि- युग आने वाला है ………
समझाने तनज़ अगिकारों की सीमा जजसने यह जीवन दांव लगाया था | अपने ही पुत्र- शोक का
संदेशा भी
बाबा साहब को न लमल पाया था | मूक- नायक हम सबका आरक्षण का संवविान बनाया था , नमन करें हम उस मानवता को
१४ अप्रैल आने वाला है ||
बौद्ि- यग ु आने वाला है ……… गुलामगीरी में सौ- साल हैं हमने जजये
आओ- ये स्वालभमान के दो- पल जजयें | आज़ादी से अब तलक होठ जो हैं लसये आओ अब और न इस गुलामी में जजयें |
समता-चौक था बनवाया बहन जी ने समता जो जाने वाली थी, ववजय- िम्म की राह चलें अब जातत में कुछ न लमलने वाला है || पढ़कर िम्म- भीम का
आज
कुछ
होने वाला है ||
बौद्ि- युग आने वाला है ………
---------------------रामबाबू गौतम, न्यू जसी माचथ २७, २०१४.
दे श के ललए जजन्होंने ववलास को ठुकराया था गगरे हुओं को जजन्होंने स्वालभमान लसखाया था जजसने हम सभी को तूफ़ान से टकराना लसखाया था दे श का था वो अनमोल दीपक जो “बाबा साहे ब ” कहलाया था
लसर ऊँचा उठाकर, जीना लसखाया मेरे भीम ने लशक्षा का महत्त्व लसखाया मेरे भीम ने जल् ु म के खखलाि संघर्थ करना लसखाया मेरे भीम ने आज मै बहुत ऊँचा उठा हूँ मझ ु े ऊँचा उठाया मेरे भीम ने
नींद अपनी खोकर जगाया हमको
आंसू अपने गगराकर हं साया हमको
कभी मत भूलना उस महान इन्सान को
जमाना कहता है “बाबा साहे ब अम्बेडकर ” जजनको
भीम जैसा सूरज अगर तनकला न होता
बेरंग रहती ये जमीं और असमान का रं ग नीला न होता हम बहुजनों के जीवन में ये उजाला न होता मर गये होते यँू ही जल् ु म सहकर
अगर हमें भीम जैसा रखवाला लमला न होता
Yugon se shapit manav ko badal diya vardano me, hin dino ke ansu tumhi ne badle hai muskano me. "Mahamanavala vinamra Abhivadan.
Mi jari PAISHANE garib aslo tari kaay jhale... pan mi JAATIN khup shrimant aahe... karan MI "BUDDHIST" "JAI BHIM" wala aahe.
Jai Bhim
जजसपे चलता रहे गा ये भारत सदा पन्ने पन्ने पे भीम ने वो रास्ता ललख ददया | भारत की सरजमीं पे मेरे दोस्तों एक इततहास भीम ने नया ललख ददया ||
Karuni jyaan jivachi raan, dila sarv sanmanacha maan, ashi majhya BHIMACHI SHAAN, bhalya-bhalyanchi jhukte Maan... JAI BHIM एक तरि आंबेडकर खखलाि दतु नया सारी थी
िरम के नाम पर चलने वाली ये गद्दारी थी दश्ु मन मेरे लभम का कुछ ना कर सके
क्योंकी कलम मेरे लभमजी की तलवार से भारी थी जीता हूँ बाबा का नाम लेकर, मरने के बाद क्या होगा,
जरा किन उठाकर दे खना, होठो पर जय भीम यही नाम होगा. "सप्रेम जयलभम"
न हो हगथयारों वाले दे वी दे वता व ् स्वगथ के लुभावने द्वार कोई गम नहीं ...........
रख ददए जजसने लसवालो तक मनु के काले कानून व ् सवविान तनमाथता हमारा बाबा दतु नया के ककसी दे वता से कम नहीं ...
इंसातनयत मे करे िकथ जो अब वो हमारा िम नहीं ... हम बद् ु ि के मानने वाले है हमारे पास शील व ् करुणा है बन्दक ु या कोई बम नहीं ................
लाख ति ू ान आये जजन्दगी मे कोई गम नहीं ... पीछे हटादे मेरे कदम ऐसा ककसी मस ु ीबत मे दम नहीं .... मूलतनवालसयो क्यों कहती है दतु नया की दललतों में दम नहीं .....
बाबा के बच्चो अब ददखादो दतु नया को की हम ककसी से कम नहीं ,जय भीम नमो बुद्िाय ...... Vidya Gautam
आरक्षण पर मेरी रचना******************* टुकड़े हैं ददये जाते हमको
भरपेट खखलाया जाता नहीं। किर भी जाने क्यों लोगों को आरक्षण मेरा भाता नही । आरक्षण है अगिकार मेरा यह भीख नही जो हम पाते हैं। सददयों से जो बलात श्रम ललया गया उसका प्रततिल हम पाते हैं । किर ददथ होता है क्यों तम ु को
क्या भल ू गए तम ु उस पल को। मुट्ठी भर अनाज के बदले में जीवन था मेरा खरीद ललया ।
और आज भी तनशान बाकी हैं इतना था हमसे काम ललया। उस श्रम के प्रततिल के टुकड़े जो थोड़े से लमल जाते हैं । क्यूँ होती तुमको इर्षयाथ है
क्यूँ तुमको नहीं सुहाते हैं।
स्वालभमान हूँ,सम्मान हूँ, नागवन्श की शान हूँ । ना टूटती हूँ, ना झक ु ती हूँ , ना गगरती हूँ,ना रुकती हूँ । सन्सकृतत को ना भूलें कोई यदह उम्मीद मैं रखती हूँ।। सबका मान सम्मान मै,मेरे हृदय में रखती हूँ।।
भीम की बेटी हू, कौम क़ा अलभमान हूँ।। सन्सकारो में जीती हूँ , पन्चलशल पे चलती हूँ।।
भीम की बेटी हूँ, अपने कौम की बान हूँ। ववराँगना हूँ, मैं शूरवीर नागवन्श की सन्तान हूँ।।
महान जन्मभूलम "जम्बुद्ववप "की शान हूँ।।।। . . . . . एक सलाम , "भीमराज की बेटी" के नाम।।।..............नमो बुद्िाय ,जय भीम।
तेरा ये जहान है , बाबा की तू शान है , क्ांतत का तूिान है , आगे-आगे बढ़ना तू भीम की संतान है , भीम की ताकत बांहों में तेरी, क्ांतत छलके आहो में तेरी, तेरा जजगर है शेर का प्यारे , दे ता जा जय भीम के नारे , आगे-आगे बढ़ना तू भीम की संतान है , गवथ से कहो जय भीम—
ववश्वास ही तो ववश्व की एक आस है "ददनकर", इसके लसवा संसार में कुछ ख़ास नहीं है !
यूँ तो कलाऐं और बहुत हैं जहा में, लेककन ये कला हर ककसी के पास नहीं है ! करता है केवल सत्य पर ववश्वास जो बशर, होता नहीं वो शख़्स दतु नया में उदास है ! "ददनकर"
लभम जैसा सुरज तनकला ना होता .
हम दललतो के जीवन मे ये उजाला ना होता . मर गये होते उनके
जुलुम सहकर
हमे लभम जैसा रखवाला लमला ना होता .. पैदा ना होता वो मसीहा तो ये खुलशयौ का लशललशला ना होता . अरे बेरंग रहती
ये जमीन
और आसमान का रं ग नीला नही होता ... भारत तो कब का कंगाल हो जाता यारो
गर इसे लभम जैसा हीरा
लमला नही होता
दौलत लमली ककसी को तो वो िनवान बनगया .. ताकत लमली ककसी को तो वो पैहलवान बनगया .. मैँ खुश नसीब हुँ इस जहाँ मेँ मुझे लभमजी लमल गये और मेँ इनसान बनगया
कर गुजर गये वो भीम थे
दतु नया को बनाने वाले भीम थे
हमने तो लसिथ इततहास पढ़ा है यारो इततहास बनाने वाले मेरे भीम थे
जब ककसी ने पूछा
क्या है जय लभम
तो सीना ठोक कर कहा मेरा मान है जय लभम मेरा सन्मान है जय लभम मेरा आत्मववश्वास है जय लभम तो मेरा स्वालभमान है जय लभम मेरे राग राग मी है जय लभम मेरे खून खून मै है जय लभम मेरे ववचारो मै है जय लभम
...
ये सीना भी क्या चीज है यारो इसे चीर के भी दे खो तो उसमे भी एक नाम है यारो वो नाम है जय लभम वो नाम है जय लभम
वो मानव से मानव का भेद, लमटाकर चला गया, मनुवाददयों का वविान, जलाकर जला गया,
जजए सभी एक होकर, अपने इस दे श में -इस ललए संवविान , बनाकर चला गया!!
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कर के कमथ जगत में हो गया बालक भीम महान तुम भी अपनी दतु नया को दो कोई पहचान
लगन लगाकर पढना सीखो महकेगी िुलवारी टाइम टे बल बना के कर लो आगे की तैयारी
समय तनकल न जाये साथी मन में लो अब ठान तुम भी अपनी दतु नया में छोड़ो कोई पहचान
पशुवत जीवन, अब न जजयेंगे, ये संकल्प हमारा है ,
सौ करोड़ की मुजक्त हे तु ये, अवपथत जीवन हमारा है , शोवर्त दललत ये नाम, हमको नहीं गंवारा है ,
आज़ादी की कीमत दें गे, कहती ये खुद्दारी है , बाबा साहे ब का लमशन अिूरा,
अब हम सबको पूरा करने की जजम्मेदारी है ! सप्रेम जय भीम नमो बद् ु िाय
बाबा ने रह ददखाई हमें जग कल्याण की चरणों में इनके झुकती है दतु नया जहां की संवविान हमारी ववरासत है ... संवविान हमारी शान है ...
संवविान हमारे दे श की जान है ... संवविान से ही भारत दतु नया में सबसे महान है ..
.........../ --) ........./ .../ ......./.. ..(__ ____ ▓▓........ ..((_ L___) ▓▓........ ...((_ I___) ▓▓........ ..((_ K___) ▓▓---.____((_E_ _ ) ठगने के ललए तुमको, क्या जाल खुद ऊंच
बबछाया है |
बने हमको, क्यों नीच बनाया है ||
जब चार वणथ दहंद ू में , मनु ने बनाया है |
वह चार वणथ सबके, ही तम ु को बतलाया है ||
जब शुद्र नही छूने काबबल, क्यों उसे लमलाया है | पैरों को अपने काट काट, क्यों नही हटाया है || नारी जो शूद्र सामान हुई, तो क्यों अपनाये हैं | घर के अंदर रखकर, क्यों अंग लगाये हैं|| इससे साबबत होता है , सब ढोंग ढकोसला है | कब्जे में करने का सब, कानन ू बनाया है || मूलतनवासी को ही क्यों, शूद्र बनाया है |
आयथ ववदे शी को क्यों, ऊँच बनाया है || अब सोच लो ददनकर, दहंद ू िमथ नही तुम्हारा है | अब बद् ु ि शरण में ही, सबका गज ु ारा है || नमो बुद्िाय
.........../ --) ........./ .../ ......./.. ..(__ ____ ▓▓........ ..((_ L___) ▓▓........ ...((_ I___)
जय भीम
▓▓........ ..((_ K___) ▓▓---.____((_E_ _ )
वेद-पुराण प्रकजल्पत पोथे,
जललप्त गल्प-जाल सब थोथे। वेदों के पाखण्ड का अंबार लगाए, वेदों के पाखण्ड के गप्पों का बाजार लगाए । वेदों का पाखण्ड उलटे पाठ पढ़ाते, सोलह दन ु े आठ पढ़ाते। वेदों में ईश्वर गुण का कोर् बताते, मानव में सब दोर् बताते।
वेदों के पाखण्ड में है स्वगथ-नकथ की झूल झुलैया पुनजथन्म की है भूल भुलैया।
वेदों के पाखण्ड के पुनजथन्म को पचड़ा मानो,
वेदों के पाखण्ड के कमथ काण्ड को कचडा मानो ।
स्वगथ-नकथ के ककस्से थोथे, ब्राम्हणवाद के तघस्से थोथे कौन नकथ में जाकर लौटा, कौन स्वगथ-सख ु पाकर लौटा जो गया वो आया नहीं ? हाल हमें सुनाया नहीं ?
इनके पाखंडी में कोरे ककस्से कवी थे गप्पों के बोर? ब्राम्हणवाद के पाखंड के सापो को मत पालो, बाँि कर इन्हें दररया में डालो ब्राम्हणवाद के ग्रंथो को िाड़ो ककसी गडर में डालो तोड़ो जात पात का जाला, छोड़ो छुवा-छुत का छाला
तुम्हे जाती ववहीन समाज बनाना तुम्हे दे श में नया जीवन लाना
बाबा आपके दीवानों की दे श में संख्या भारी है , लमशन को पूरा करने में अब नहीं कोई लाचारी है , चला कारवां नहीं रुकेगा, मंजजल की तैयारी है ,
सौ करोड़ की मुजक्त हे त,ु अब जीवन है उपहार बने, साढ़े साती पर प्रहार दहत, हर शोवर्त तलवार बने,
भारत माता की मजु क्त बबना पल भर जीना दश्ु वार लगे, लोकतंत्र के हगथयारों से हमने फ़ौज संवारी है , चला कारवां नहीं रुकेगा, मजजल की तैयारी है
दललत अपने को पहचानो सीिा,सौम्य और उदार रहोगे र्ड्यंत्र के जाल मेँ िँसते रहोगे जैसा सददयोँ से ब्राह्मणोँ के र्ड्यंत्र मेँ िँसते आ रहे हो उग्र,स्वालभमानी और प्रबुद्ि बनो। अलशक्षक्षत,असंगदठत रहोगे ब्राह्मण तनभीक अत्याचार करते रहेँ गे जैसा सददयोँ से करते आ रहे हैँ तकथतनर्षठ,संगदठत और लीडर बनो। प्रततकार करने से जबतक डरते रहोगे ब्राह्मण सम्पतत-जमीन-इज्जत पर कब्जा करते रहेँगे जैसा सददयोँ से करते आ रहे हैँ वीर,साहसी और योद्िा बनो। व्यजक्तगत स्वाथथ मेँ पडकर जबतक अपनोँ से मँह ु मोडते रहोगे ब्राह्मण तुम्हारा इततहास,स्वरुप ववकृत करते रहेँगे जैसा सददयोँ से करते आ रहे हैँ अपने समाज के प्रतत सह्रदय,क्तग्य बनो। अपने समय के मसीहा को जबतक नहीीँ पहचानोगे ,साथ दोगे गरीब,अछूत और गुलाम ही रह जाओगे जैसा सददयोँ से चले आ रहे हो अपने समाज के लमशन से जड ु ो,क्ांततकारी बनो।
पूरी दतु नया में लीडर हजारों, पर हमारे लभम जैसा नेता नहीं है , बद् ु ि की राह ऐसी ददखाई, राह में हमको िोखा नहीं है ,
जुल्म की आंगियों से हमें जो तुमने तूफ़ान से भी बचाया,
ये तो कहने को थे लाखों नेता, जुल्म ककसी ने भी रोका नहीं है , क्या कहू ये मतलब के खाततर आये थे ककतने नेता, एक लभम ही थे जजसने हमारी आँखों में िुल झोका नहीं है , उनके कतथव्य का है कररश्मा, आज वो दे वता बन गए है ,
छान कर दे खी ये दतु नया सारी, नेता लाखों में ऐसा नहीं है , जय भीम नमो बुद्िाय जय प्रबुद्ि भारत
बाबा आपके दीवानों की दे श में संख्या भारी है , लमशन को पूरा करने में अब नहीं कोई लाचारी है , चला कारवां नहीं रुकेगा, मंजजल की तैयारी है ,
सौ करोड़ की मुजक्त हे त,ु अब जीवन है उपहार बने, साढ़े साती पर प्रहार दहत, हर शोवर्त तलवार बने,
भारत माता की मजु क्त बबना पल भर जीना दश्ु वार लगे, लोकतंत्र के हगथयारों से हमने फ़ौज संवारी है ,
चला कारवां नहीं रुकेगा, मजजल की तैयारी है !
पूरी दतु नया में लीडर हजारों, पर हमारे लभम जैसा नेता नहीं है , बद् ु ि की राह ऐसी ददखाई, राह में हमको िोखा नहीं है ,
जुल्म की आंगियों से हमें जो तुमने तूफ़ान से भी बचाया,
ये तो कहने को थे लाखों नेता, जुल्म ककसी ने भी रोका नहीं है ,
क्या कहू ये मतलब के खाततर आये थे ककतने नेता, एक लभम ही थे जजसने हमारी आँखों में िुल झोका नहीं है , उनके कतथव्य का है कररश्मा, आज वो दे वता बन गए है ,
छान कर दे खी ये दतु नया सारी, नेता लाखों में ऐसा नहीं है , जय भीम नमो बुद्िाय जय प्रबुद्ि भारत
भीम बाबा एक तेरा सहारा और जहाँ में न कोई हमारा जब तक सरू ज चाँद रहे गा
भीम बाबा तेरा नाम रहे गा एक बार किर से आओ सभी ने पुकारा भीम बाबा एक तेरा सहारा
ईश्वर से लमला है न हमें रब से लमला है
जो कुछ भी लमला है हमें बाबा साहे ब से लमला है बाबा ने तुझे दे श में जीना, लसखाया
सददयों से खोया तेरा अगिकार ददलवाया बबछड़ा हुआ था पररवार, उससे लमलाया ककतना है तू शजक्तशाली, तुझे तो बाबा ने बनाया भजक्त से लमला है न ककसी जप तप से लमला है
जो कुछ भी लमला है हमें बाबा साहे ब से लमला है
मेरे लभम ऐसा काम ककया कभी ककसी को
झुक के सलाम नही ककया.
भारत के ललये ऐसा सववँिान ललखा जजसका कभी कोई दाम नही ललया
बाबा आपके दीवानों की दे श में संख्या भारी है , लमशन को पूरा करने में अब नहीं कोई लाचारी है , चला कारवां नहीं रुकेगा, मंजजल की तैयारी है ,
सौ करोड़ की मुजक्त हे त,ु अब जीवन है उपहार बने, साढ़े साती पर प्रहार दहत, हर शोवर्त तलवार बने,
भारत माता की मुजक्त बबना पल भर जीना दश्ु वार लगे, लोकतंत्र के हगथयारों से हमने फ़ौज संवारी है ,
चला कारवां नहीं रुकेगा, मजजल की तैयारी है ! सप्रेम जय भीम नमो बद् ु िाय
क्योँ न िक् करे उस पे, जजसने हमेँ जीना लसखा ददया, क्या थे हम ? क्या अब हैँ, जजसने ये दरपन ददखा ददया। हम क्योँ भल ू ेँ उस सपने को ?
जो सपना उस ने ददखा ददया । क्योँ न िक् करे उस पे, जजसने हमेँ जीना लसखा ददया
भाई जो भीम लमशन पे डटगे, कटगे ददन लाचारी के . कटगे ददन लाचारी के , छुटगे ददन बेगारी के .
1 पहली बात कही र पढने की ,पढ़ ललखकर आगे बढने की . ऊँचे ओहदों पर चढने की , नेता और अगिकारी के भाई जो भीम लमशन पे डटगे, कटगे ददन लाचारी के .
2 संगठन बना रहे मजबत ू ,इकट्ठे हो रहे दललत अछूत . छोडकर दे व ,प्रेत और भूत , त्याग ददए भेर् पुजारी के . भाई जो भीम लमशन पे डटगे, कटगे ददन लाचारी के.
3 संिर्थ करो दे ख माया न, साहे ब कांशी की छाया मै . ब्राह्मण दे खे बैठे पायां मै , हामन बहन कुमारी के
भाई जो भीम लमशन पे डटगे, कटगे ददन लाचारी के
4 मवासी कह ररंडके वाले ,बबन लशक्षा के नही गज ु रो . मनव ु ाद से करो ककनारों बोल हैं ये प्रचारी के .
भाई जो भीम लमशन पे डटगे, कटगे ददन लाचारी के ...
क्योंकी हम भीम के बन्दे है नहीं ज़ुकेंगे , नहीं सहें गे, आगेही बढ़ते जायेंगे
क्योंकी हम भीम के बन्दे है
.
नहीं सहें गे जुल्मो को हम, अब नहीं सहें गे अत्याचार
क्योंकी हम भीम के बन्दे है
.
करें गे कुछ एसा काम, के बाबा
का हो रोसन नाम क्योंकी हम भीम के बन्दे है . दे श तो आज़ाद हुआ पर हमें आज़ादी नहीं लमली, आज़ादी के ललए हम आपनी जान गवाएंगे क्योंकी हम भीम के बन्दे है . अन्रश्रद्िा और ब्राम्ह्न्वादी वणथ-व्यवस्था को हटायेंगे
,क्योंकी हम भीम के बन्दे है . करें गे हम आपने प्राण
न्योछावर “भीम” के ललए, जजन्होंने हमें जीने की राह ददखाई क्योंकी हम भीम के बन्दे है … क्योंकी हम भीम के बच्चे है … जय भीम …
भल ू न जाना भीमराव को, बबनती यही हमारी है
दललत जनोँ की खाततर उनने, सही मुसीबत भारी है
भीम तम ु रहे न रहे . भीम तुम रहे न रहे , तुम्हारे तनशां लमट सकते नहीं हैं,
जीवन ये रहे न रहे , तम ु ! बबन कभी जी सकते नहीं हैं । कर रहे हैं स्थावपत तुम्हारे तनशां मानवता के भेर् में , चलें गे हज़ारों तुम्हारे तनशाँ तुम्हारी शरण परदे श में,
डॉ भीमराव अम्बेडकर तम ु ने त्यागा जीवन सबके ललए
स्थावपत करें गे तुम्हें गली- शहर श्रेर्षठता के पररवेश में । ददया है जो हमें तुम्हारी तनर्षठा और संकल्प ने भूल सकते नहीं हैं ।। भीम तम ु रहे न रहे ...............
वद- दआ न दें हमें कक तुम्हारे ललए कुछ ककया नहीं है , ु कुछ नींव तो रखते जैसे कक तुम्हारे ललए जजया नहीं हैं,
बहुत जी ललए हम तम् ु हारी बदोलत- तख्तोताज लेकर आओ काम करें - अम्बेडकर के ललए जो ककया नहीं है । पीदढ़यों का बोझ हल्का हो इसके लसवा कुछ कर सकते नहीं हैं ।। भीम तम ु रहे न रहे ..............
अम्बेडकर के सपनों को जब साकार करके रहें गे, जुल्म - सारे सदा के ललए तभी लमट करके रहें गे,
माना दललत बनकर तुम पैदा हुए हो यहाँ मगर उस मसीहा की तस्वीर ददल में बना करके रहें गे । जजया जो औरों के ललए जजसके बबन हम उठ सकते नहीं हैं ।। भीम तुम रहे न रहे .............. संघर्थ के बल जजसको लड़ना पड़ा था जीवन भर, तुम भी लड़ो नव पीढ़ी को लड़े न वह जीवन भर, डॉ अम्बेडकर को िोखा दे ना नहीं कभी भूलकर
जजस कारवां के ललए त्याग ककया था जीवन भर । छलके थे आंसू संकल्प-भूलम पर संकल्प बबन जी सकते नहीं हैं ।। भीम तुम रहे न रहे ..............
कसम खालो अब बबन- स्वालभमान जीना नहीं है , लमले स्वाथथ का ववर् ककतना ही उसे पीना नहीं है , अम्बेडकर ने हमें इस गुलामी से रोका था हर पल
गुलामी- इततहास ललखा गुलामी में जीना नहीं है ।
भीम के बबन नैन हमारे नम के लसवा कुछ कर सकते नहीं हैं ।। भीम तुम रहे न रहे , तुम्हारे तनशां लमट सकते नहीं हैं,
न होगी कोई जातत, न होगा कोई वणथ न कोई हो ववभाजन, अवणथ या सवणथ न स्त्री और पुरुर् में कोई भेद होंगा
न ककसी को अपना पैदा होने मैं खेद होगा जग में समता का ररवाज़ बनायेंगे बाबा के सपनो का समाज बनायेंगे
~आओ हम सब लमलकर इततहास रचायें
मैं लाया हूँ बड़ी मुजस्कल से, ये कारवाँ तनकाल के, बढ़ाते ही इस को रहना, मेरे बच्चो संभाल के ! लड़ पड़ा था अंग्रेजो से, तुम्हारे ललए ही मैं ,
ब्रह्मणबाददयों से लभड़ गया था, तम् ु हारे ललए ही मैं, हर मुशककल का ककया था सामना, सोच-ववचार के ! बढ़ाते ही इस को रहना .......................
दश्ु मन की नजरों से, बचना - बचाना तम ु , िोखे में ना आना, इन शाततरों के तम ु ,
हर कदम को रखना, तुम दे खभाल के !
बढ़ाते ही इस को रहना ..................... पड़े दश्ु मन से ही नहीं, दश्ु मन के चमचों से वास्ता, लशकारी कुत्तों की तरह, वे रोकेंगें तुम्हारा रास्ता,
ववचललत न होना कभी, ककसी भी बवाल से ! बढ़ाते ही इस को रहना .................... गैरों में है इतना दम कहां, जो करें तुम्हारा मुकाबला, रास्ते में इस लमशन के, ये लायेंगे तम् ु हारी ही बला,
सचेत खुद को रखना, तुम इनकी हर टे ढ़ी चाल से ! बढ़ाते ही इस को रहना, मेरे बच्चो संभाल के ! बढ़ाते ही इस को रहना, मेरे बच्चो संभाल के !
..... नमो बुद्िाये, …… जय भीम ..... जय मूलतनवासी , ….. जय भारत /
उठो उठो हे बद् ु ि दे व ममता की करुण पक ु ार है
उठो उठो हे बुद्ि दे व ममता की करुण पुकार है ....... युग तनमाथता भीम तुम्हारी जय जय जयकार है
युग तनमाथता भीम तुम्हारी जय जय जयकार है ........... जय भीम नमो बुद्िाय जय प्रबुद्ि भारत
लसर ऊंचा ऊठाकर जजना लसखाया मेरे लभम ने. लशक्षा का महत्व समझाया मेरे लभम ने. जुल्म के खखलाि संघर्थ करना लसखाया मेरे लभम ने.
आज मैँ बहुत ऊंचा ऊठ गया हुं. मुझे ऊंचा ऊठाया मेरे लभम ने..
जय लभम जय भारत
भीम के सैतनक
है हम!
भीम के संतान है !! शोलो पे चलते है लभमजी का नाम लेते है ! जजंदा है आज भी जुल्मो का जहर पी के हम !! भीमजी के बेटे है मरने से ना डरते हम ! भीमजी के सैतनक है हम ! भीम के संतान है !!
हम भीम दीवाने है आन ना आने दें गे जान दे दें गे मगर ये मैदान ना जाने दें गे लड़ कर मर जायेंगे मगर ना हटें गे पीछे अपने भीमराव की हम शान ना जाने दें गे आपकी जय हो भीम महान, बना ददया भारत का संवविान, आपने मनु वविान जलाया, भारत का संवविान बनाया,
ददया सबको अगिकार समान, बना ददया भारत का संवविान, आप ने भारत की सब नारी, शोवर्त, पीड़ड़त, दललत उभारी, ददलाया सबको जग में मान, बना ददया भारत का संवविान, केवल सुनकर नाम तुम्हारा, पाखंडवाद कांपता सारा, कांपे बड़े-बड़े शैतान, बना ददया भारत का संवविान,
दे कर बद् ु ि िम्म की माया, कर दी बोगि वक्ष ृ की छाया,
लमल गए हमें बुद्ि भगवान,् बना ददया भारत का संवविान, जब तक है सागर में पानी, अमर रहे गी भीम कहानी,
रहे गा अमर भीम बललदान, बना ददया भारत का संवविान, चरणों शोवर्त शीश झुकाते, हम श्रदा के सुमन चढाते,
करते सब लमलकर गण ु गान, बना ददया भारत का संवविान,
नमो बुद्िाय....... जय भीम....... जय ववज्ञान.......... जय प्रबुद्ि भारत|
समन्दरो मैन मन ु ासीि हवा चलाता हे
जहाज खुद नही चलती खुदा चलाता हे
और तुझे खबर भी हे संवविान पर उं गली उटाणे वाले
ये भारत खुद नही चलता इसको मेरे भीम जी का संवविान चलाता हे
जरुरत नहीं राम कृर्षण हनुमान की
न जरुरत है काल्पतनक भगवन की लसिथ एक शेर चादहए भीम जैसा ललख दी ककस्मत जजसने संवविान की
भीम बड़ा बलवान, जजसकी अजब तनराली शान बाबा कर गये ऐसा काम, जजनको दतु नया करे सलाम भीम का क्या कहना ........
बाबा साहब
की कहानी तो जब ु ानी जब ु ानी हो गयी
बाबा कर गये ऐसा काम दतु नया उनकी दीवानी हो गयी
वाह रे दतु नया तेरे रं ग हजार
कोई बने ब्राह्मन कोई बने चमार
जजसने ना बाबा को समझा, उनका होगा हस्र बेकार क्यों कक कहते हैं उनको पढ़े ललखे गंवार
था अत्याचार बड़ा भरी और अब तक जाल पसारा गर भीमराव ना होते क्या होता हाल हमारा
कमजोर बह गए,पहलवान बह गए! प्रकृतत के कहर में इंसान गए!
माँगते थे दआ ु यें जजससे सलामती की,
पानी के बहाव में वो भगबान बह गए!
मरे हजारोँ भक्त जहाँ पर किर भी जग करता गुणगान । कहाँ गये लशव गणेश पारवती कहाँ गये ववर्षणु भगवान ॥ सर्षृ टी रचैया ब्रह्मा जी भी
छोड़ भगे वहाँ का मैदान । ऋद्िी लसद्िी काततथकेय जी छोड़े अपने सभी मकान ॥ ददव्य शजक्तयोँ बाली दे वी तैतीस कोदट दे व नादान । पूजनीय उन सबसे बढ़कर
आई टी बी पी के थे जवान ॥
दतु नया में लभम ऐसा सादहल हो गया ववद्या के हर पेलू में माहीर हो गया एक अछूत कक अक्कल भी ककतनी उच्ची होती हे
ये मेरे लभम जी के संवविान से जाहीर हो गया
जयभीम के मेले थे भीम जब अकेले थे न पैसे के रे ले थे न सुख के चेले थे ...... किर भी क्यू ...
क्ांतत के दीपक जले थे ददलों मे क्यू सैलाब उमड़ रहे थे ....
क्योंकक अनाथ बच्चो को वपता के दशथन हुये थे ककतने सवाल थे ककतने सैतान िैले थे ........ किर भी क्यू.....
बाबा के शब्द ही भारी थे तलवार के परखच्चे तो बाबा की कलम ने ही उड़ाये थे ....
क्यो जल रहे है लोग मेरे लभम के नामपर अरे हर दललत कुबाथन है मेरे लभम के नामपर ततलक लगाया दहंद को संवविान ललखकर चलता है सारा दे श मेरे लभम के नामपर
झठ ू े इततहास ललखकर, ववजेता बन बैठे तुम, पाखंड िैलाकर,
सत्तािारी बन बैठे तुम,
और हमें नीच बुलाते हो... खेत-खललयान हड़पकर, िनवान बन बैठे तुम, भुखमरी िैलाकर,
सभ्यवान बन बैठे तुम,
और हमें अछूत बल ु ाते हो...
मदहलाओं को दे व-दासी बनाकर, दे वता बन बैठे तुम, दहे ज़-प्रथा िैलाकर,
संस्कृततवान बन बैठे तुम,
और हमें समाज-कंटक बल ु ाते हो... लोगों को जात-पात में बांटकर, मानवीय-प्रेरक बन बैठे तुम, साम्प्रदातयकता िैलाकर, शांतत-दत ू बन बैठे तुम,
और हमें आतंककारी बल ु ाते हो... मंददरों के रूप में दक ू ान बनाकर, पुजारी बन बैठे तुम,
चारों तरि दग थ ि िैलाकर, ु न् मठािीश बन बैठे तुम,
और हमें अश्लील बल ु ाते हो... एकलव्य का अंगूठा काटकर, मेरीटवान बन बैठे तुम, अंिववश्वास िैलाकर, ज्ञानी बन बैठे तुम,
और हमें मख ू थ बल ु ाते हो...
काली कमाई से िन जुटाकर, परोपकारी बन बैठे तम ु ,
उपोर्ण-भयादोहन-ग ूुूंडागदी िैलाकर, अदहंसा के पुजारी बन बैठे तुम, और हमें दहंसक बल ु ाते हो...
रोटी के बदले अजस्मता लूटकर, पूज्यनीय बन बैठे तुम, अराजकता िैलाकर,
रार्षरभक्त बन बैठे तुम,
और हमें रार्षर-द्रोही बल ु ाते हो... कलम छीनकर, लशक्षा-शास्त्री
बन बैठे तुम,
जाततवाद िैलाकर,
समाजवादी बन बैठे तुम,
और हमें अनपढ़-गंवार बल ु ाते हो... नमो बुद्िाय
शैतान ना करे मनु ने वो काम ककया है
इंसानों को जानवरों की तरह जाततयों में बाँट ददया है लाचारी में हम को छोड़ के शैतानी पे आ गये महाशैतान का हम ने मनु को नाम ददया हैं पहले तो लशक्षा संपवत्त छीन ली जुल्म-ओ-लसतम से अछूत का किर हमें इल्ज़ाम ददया हैं
उसके बनाये उच्च वणीय शैतान ही गगराते हैं कमजोरो पे बबजललयाँ बाबा ने आ के किर भी उसे थाम ललया हैं बनकर श्रेर्षठ बैठे हैं वो जो लभखारी थे मनु ने खूब है वातनयत को अंजाम ददया हैं
नहीं ज़ुकेंगे , नहीं सहें गे, आगेही बढ़ते जायेंगे
क्योंकी हम भीम के बन्दे है . नहीं सहें गे जुल्मो को हम, अब नहीं सहें गे अत्याचार
क्योंकी हम भीम के बन्दे है . करें गे कुछ एसा काम, के बाबा
का हो रोसन नाम क्योंकी हम भीम के बन्दे है . दे श तो आज़ाद हुआ पर हमें आज़ादी नहीं लमली, आज़ादी के ललए हम आपनी जान गवाएंगे क्योंकी हम भीम के बन्दे है .
अन्रश्रद्िा और ब्राम्ह्न्वादी वणथ-व्यवस्था को हटायेंगे ,क्योंकी हम भीम के बन्दे है . करें गे हम आपने प्राण न्योछावर “भीम” के ललए, जजन्होंने हमें जीने की राह ददखाई क्योंकी हम भीम के बन्दे है … क्योंकी हम भीम के बच्चे है … जय भीम जय भारत
कोई भागता है खाने के ललए कोई दौङता है पचाने के ललए एक दौङ BHIM ने भी लगाई थी हमे आजाद कराने के ललए
आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
भारत माता के अलबेले अनमोल पत को जजसने परे विश्ि में नाम कमाया था आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
उसे जो भारत के ललए संविधान ले के आया था
परे शानी , दुःख और गरीबी में जो जन्मा था िही भारत माता का स्िालभमान ले के आया था आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
भारत माता के अलबेले अनमोल पत को जो भारत के ललए संविधान ले के आया था जजसने जीिन भर लशक्षित बनो , संगठित रहो , संघर्ष करो का सन्दे श फैलाया था जजसने दललत भाई, पस्तकों और भारत दे श पर असीम प्रेम लटाया था जो भारत की खोई आन -बान ले के आया था आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
भारत माता के अलबेले अनमोल पत को जो भारत के ललए संविधान ले के आया था कतषव्य परायणता , ईमानदारी , मेहनत, लगन और अथाह ज्ञान का सागर जजसने परे विश्ि में अपने ज्ञान का लोहा मनिाया था आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
भारत माता के अलबेले अनमोल पत को जो भारत के ललए संविधान ले के आया था दललतों और अस्पशषयों के राजनीततक, सामाजजक , धालमषक अधधकारों के ललए संघर्ष करते-करते जजसने अपना सारा जीिन बबताया था जो लोकतन्र िाला यश-गान ले के आया था आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
भारत माता के अलबेले अनमोल पत को जो भारत के ललए संविधान ले के आया था सारी मानि जाती के अजस्तत्ि के संघर्ष के ललए समवपषत राजनेता , उत्कृष्ट समाज सेिी, धिन्तक, तेजस्िी िक्ता कानन विशेर्ज्ञ, विख्यात अथषशास्री और इन सब से बढ़कर एक प्रखर राष्रभक्त
भारत रत्न , जो बाबा साठहब कहलाया था आज मैं शत ् शत ् नमन करता हूँ
भारत माता के अलबेले अनमोल पत बाबा साहब डॉ. भीमराि अम्बेडकर को जो भारत के ललए संविधान ले के आया था